प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारत माता की जय के नारे लगाने सिखाए जाने चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि अगर कोई उनके गर्दन पर चाकू भी रख दे तो वह भारत माता की जय नहीं कहेंगे। इसके बाद से पूरे देश में भारत माता की जय के इस नारे को लेकर बहस छीड़ि हुई है, हर दिन इस बात पर बढ़-चढ़कर बयान दिए जा रहे हैं। वहीं देशद्रोह के मामले में सशर्त जमानत पर रिहा हुए जेएनयू छात्र इस नारे को लेकर व्यंग कर रहा है कि मैं अपनी पत्नी और बच्चों का नाम भी भारत माता की जय रख लूँगा, फिर स्कूल में उनका परिचय पूछा जायेगा तो वो भारत माता की जय बोल देंगे और उनकी फीस माफ़ हो जायेगी । कितनी शर्मनाक बात है कन्हैया जैसे लोग जो माता जैसे पवित्र शब्द का भी मजाक बनाने से नही चूक रहे हैं । आखिर क्यों चूकेंगे जब ये लोग देश के टुकड़े करने की बात करने से नही चूके तो फिर इनके लिए माता का मजाक बनाने मे क्या हर्ज है । ये वही लोग हैं जिनकी सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है । इशरत जिनकी बेटी है, अफज़ल जिनका भाई है । याकूब जिनका बाप है, और कसाब जिनका बेटा है । आज वे ही बोल रहें हैं, उनकी भारत माता नहीं हैं । जिनके इतिहास की काली किताबों में लोकतंत्र से व्याभिचार के अनेकों पाठ हैं । ये वही हैं जिनके एजेंडे में देश, माँ और राष्ट्र का कोई स्थान नही है, वो आज सवाल खड़े कर रहे हैं कि भारत माता कैसी है, क्यों है, कौन बोले, क्यों बोले और कहाँ बोले ।
ये वही लोग हैं तुष्टिकरण में लिप्त कुछ छद्म सेक्युलरों, वामपंथियों और अन्ना हजारे के मंच पर तिरंगा लहरा, भारत माता की जय बोलकर मुख्यमंत्री बने एनजीओ बाज कह रहे हैं भारत माता क्या है, भारत माता की जय क्यों बोलें, भारत माता पर व्यंग कर रहे हैं, भारत माता का उपहास उड़ा रहे हैं । ये वही हैं जिनको आयातित बाप का तो पता है लेकिन कड़वी सच्चाई स्वीकार करने में हिचकते हैं कि इसी मातृभूमि में जन्मे पले बढ़े , इसी धरती माता का अन्न, जल, वायु खा पीकर जी रहे हैं और मरने के बाद ये पाकिस्तान और चीन में नहीं बल्कि
हिन्दुस्तान की इसी धरती माता पर दफनाये और जलाये जायेंगे । ये वहीं लोग हैं जो याकूब को कन्धा देने से लेकर भारत माता की बर्बादी और भारत के टुकड़े टुकड़े करने का नारा देतें हैं और भूल जातें हैं कि जिस अशफाक, भगत और राजगुरु, आजाद के कारण वो इतनी आजादी में जी रहें हैं । उन्होंने कभी इसी आजादी के लिये हंसते-हंसते जय हिन्द, भारत माता की जय और वन्दे मातरम कहकर अपने प्राण त्याग दिए थे । उसी धरती में जहाँ भारत माता की रक्षा के लिये हजारों अब्दुल हमीद, कलाम तंजील तक सो गये।
अरे जिनको अपनी जन्मदात्री माँ से ज्यादा अपने आयातित बाप की फिक्र है उनको तो नहीं, लेकिन एक ख़ास गिरोह को जरूर पूछना चाहिये, उस अशफाक से उस अब्दुल हमीद से और उस कलाम से कि 'मेरी माता कौन है?' भारत में रहकर भारत माता की जय बोलने में आखिर क्यों किसी को अपनी मातृभूमि के प्रति शर्म महसूस हो रही है ।
जब स्वतंत्रता आंदोलन हुआ था उस समय ‘वंदे मातरम’ के नारे ने ही सभी भारतीयों को एकजुट किया था। वंदे मातरम् का मतलब, "मां आपको प्रणाम"। क्या माता? किसकी माता?ईसाई माता नहीं, हिंदू माता नहीं, मुस्लिम माता नहीं, अगड़ी माता नहीं, पिछड़ी माता नहीं। माता तो माता है। सबकी माता, हर भारतवासी की माता, बच्चा-बच्चा की माता है "भारत माता", फिर उसकी जय बोलने में आपत्ति क्या है। क्यों ऐसा कहा जाता है कि उसमें पूजा है। किस धर्म ने माता की पूजा करने को नहीं कहा है। मुझे बताइए। मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं। भारत माता की जय का मतलब भारत माता की मूर्ति की पूजा नहीं है बल्कि उसके प्रति मन में भावना होना है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि कुछ लोग तुष्टिकरण के शिकार होकर महज वोट बैंक तथा स्वार्थ की राजनीति के चलते भारत माता को भी धर्म से जोड़ रहे हैं, धार्मिक रंग दे रहे हैं । देश के वर्तमान हालात, गिरते हुए राजनैतिक स्तर को देखते हुए बेहद दुख होता है । आज कितने चिंता जनक हालात बने हुए हैं, कितने दुर्भाग्य की बात है कि भारत में भारत माता की जय पर बहस हो रही है, हमारे देश की राजनीति इस बात पर उलझी है कि भारत माता की जय नहीं बोलूंगा, भारत माता की जय बोलना पड़ेगा । कितनी शर्मनाक बात है । भारत माता जिसके लिए अनेको वीर जवानों ने हस्ते-हस्ते अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया। जिस भारत माता को अपनी जन्मदात्री से भी ऊपर दर्जा देने वाले देश के लाल अमर शहीदों ने अपना बलिदान दे दिया । आज उस भारत माता के नाम पर कुछ स्वार्थी नेता राजनीति करने मे लगे हैं । चन्द वोटों के खातिर आज भारत माता को भी मोहरा बनाने से नही चूक रहे हैं । भारत माता समस्त हिन्दुस्तानियों की माता हैं, सबसे ऊपर भारत माता और भारत माता की जय बोलना, उसकी शान बढ़ाना हर भारतवासी का कर्तव्य है । मातृभूमि के प्रति सबके अंदर प्रेम एवं सम्मान के भाव होना चाहिए, जिस मिट्टी में हम जन्मे, पले-बढ़े हैं, उसका सम्मान करना उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, हम भारत की भूमि पर जन्मे हैं । भारत की रक्षा करना, उसके प्रति सम्मान की भावना रखना, उसका गौरव बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है, यह हर भारतवासी की जिम्मेदारी है । हर भारतवाशी को भारत माता की जय से कोई आपत्ति नही होनी चाहिए। हरेक भारतीय भारत की जय कहना, भारत की मिट्टी की जय कहना , भारत के लोगों की जय कहना अपना कर्तव्य समझे । यह कोई जबरदस्ती नही है किन्तु अपनी मातृभूमि के सम्मान में एक आवाज दिल से अवश्य निकलनी ही चाहिए ।
"भारत माता की जय"
लेखक - सत्यम सिंह बघेल
ये वही लोग हैं तुष्टिकरण में लिप्त कुछ छद्म सेक्युलरों, वामपंथियों और अन्ना हजारे के मंच पर तिरंगा लहरा, भारत माता की जय बोलकर मुख्यमंत्री बने एनजीओ बाज कह रहे हैं भारत माता क्या है, भारत माता की जय क्यों बोलें, भारत माता पर व्यंग कर रहे हैं, भारत माता का उपहास उड़ा रहे हैं । ये वही हैं जिनको आयातित बाप का तो पता है लेकिन कड़वी सच्चाई स्वीकार करने में हिचकते हैं कि इसी मातृभूमि में जन्मे पले बढ़े , इसी धरती माता का अन्न, जल, वायु खा पीकर जी रहे हैं और मरने के बाद ये पाकिस्तान और चीन में नहीं बल्कि
हिन्दुस्तान की इसी धरती माता पर दफनाये और जलाये जायेंगे । ये वहीं लोग हैं जो याकूब को कन्धा देने से लेकर भारत माता की बर्बादी और भारत के टुकड़े टुकड़े करने का नारा देतें हैं और भूल जातें हैं कि जिस अशफाक, भगत और राजगुरु, आजाद के कारण वो इतनी आजादी में जी रहें हैं । उन्होंने कभी इसी आजादी के लिये हंसते-हंसते जय हिन्द, भारत माता की जय और वन्दे मातरम कहकर अपने प्राण त्याग दिए थे । उसी धरती में जहाँ भारत माता की रक्षा के लिये हजारों अब्दुल हमीद, कलाम तंजील तक सो गये।
अरे जिनको अपनी जन्मदात्री माँ से ज्यादा अपने आयातित बाप की फिक्र है उनको तो नहीं, लेकिन एक ख़ास गिरोह को जरूर पूछना चाहिये, उस अशफाक से उस अब्दुल हमीद से और उस कलाम से कि 'मेरी माता कौन है?' भारत में रहकर भारत माता की जय बोलने में आखिर क्यों किसी को अपनी मातृभूमि के प्रति शर्म महसूस हो रही है ।
जब स्वतंत्रता आंदोलन हुआ था उस समय ‘वंदे मातरम’ के नारे ने ही सभी भारतीयों को एकजुट किया था। वंदे मातरम् का मतलब, "मां आपको प्रणाम"। क्या माता? किसकी माता?ईसाई माता नहीं, हिंदू माता नहीं, मुस्लिम माता नहीं, अगड़ी माता नहीं, पिछड़ी माता नहीं। माता तो माता है। सबकी माता, हर भारतवासी की माता, बच्चा-बच्चा की माता है "भारत माता", फिर उसकी जय बोलने में आपत्ति क्या है। क्यों ऐसा कहा जाता है कि उसमें पूजा है। किस धर्म ने माता की पूजा करने को नहीं कहा है। मुझे बताइए। मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं। भारत माता की जय का मतलब भारत माता की मूर्ति की पूजा नहीं है बल्कि उसके प्रति मन में भावना होना है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि कुछ लोग तुष्टिकरण के शिकार होकर महज वोट बैंक तथा स्वार्थ की राजनीति के चलते भारत माता को भी धर्म से जोड़ रहे हैं, धार्मिक रंग दे रहे हैं । देश के वर्तमान हालात, गिरते हुए राजनैतिक स्तर को देखते हुए बेहद दुख होता है । आज कितने चिंता जनक हालात बने हुए हैं, कितने दुर्भाग्य की बात है कि भारत में भारत माता की जय पर बहस हो रही है, हमारे देश की राजनीति इस बात पर उलझी है कि भारत माता की जय नहीं बोलूंगा, भारत माता की जय बोलना पड़ेगा । कितनी शर्मनाक बात है । भारत माता जिसके लिए अनेको वीर जवानों ने हस्ते-हस्ते अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया। जिस भारत माता को अपनी जन्मदात्री से भी ऊपर दर्जा देने वाले देश के लाल अमर शहीदों ने अपना बलिदान दे दिया । आज उस भारत माता के नाम पर कुछ स्वार्थी नेता राजनीति करने मे लगे हैं । चन्द वोटों के खातिर आज भारत माता को भी मोहरा बनाने से नही चूक रहे हैं । भारत माता समस्त हिन्दुस्तानियों की माता हैं, सबसे ऊपर भारत माता और भारत माता की जय बोलना, उसकी शान बढ़ाना हर भारतवासी का कर्तव्य है । मातृभूमि के प्रति सबके अंदर प्रेम एवं सम्मान के भाव होना चाहिए, जिस मिट्टी में हम जन्मे, पले-बढ़े हैं, उसका सम्मान करना उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, हम भारत की भूमि पर जन्मे हैं । भारत की रक्षा करना, उसके प्रति सम्मान की भावना रखना, उसका गौरव बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है, यह हर भारतवासी की जिम्मेदारी है । हर भारतवाशी को भारत माता की जय से कोई आपत्ति नही होनी चाहिए। हरेक भारतीय भारत की जय कहना, भारत की मिट्टी की जय कहना , भारत के लोगों की जय कहना अपना कर्तव्य समझे । यह कोई जबरदस्ती नही है किन्तु अपनी मातृभूमि के सम्मान में एक आवाज दिल से अवश्य निकलनी ही चाहिए ।
"भारत माता की जय"
लेखक - सत्यम सिंह बघेल
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.