आगस्ता वेस्टलैण्ड हेलीकॉप्टर का मुद्दा
मीडिया, सोशल मीडिया और संसद से लेकर सड़क तक देश में हर जगह बहस का विषय बना हुआ है । यह मामला भारत द्वारा आगस्ता वेस्टलैण्ड कम्पनी से खरीदे गए हेलिकॉप्टरों से सम्बन्धित है जो 2013-14 में सामने आया। इसमें कई भारतीय राजनेताओं एवं सैन्य अधिकारियों पर आगस्ता वेस्टलैण्ड से मोटी घूस लेने का आरोप है। इसी तरह का एक और मामला था बोफोर्स इसमे भी कई भारतीय राजनेताओं एवं सैन्य अधिकारियों पर घूस लेने का अरोप था । बोफोर्स कांड के मामले में सन् 1987 में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इस खुलासे ने भारतीय राजनीति में खलबली मचा दी और राजीव गांधी इसके निशाना बने। 1989 के लोकसभा चुनाव का ये मुख्य मुद्दा था जिसने राजीव गांधी को सत्ता से बाहर कर दिया और वीपी सिंह राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री बने। और साथ ही बोफोर्स कांड राजीव गांधी को इस कदर ले डूबा कि वे इससे जीवन पर्यन्त उभर ही नही पाये । बोफोर्स मामला ने उनका राजनैतिक कैरियर ही खत्म कर दिया था ।
आरोप था कि राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने इस मामले में बिचौलिये की भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डालर का था। आरोप है कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी। काफी समय तक राजीव गांधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मौत के बाद नाम फाइल से हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गयी लेकिन सरकारें बदलने पर सीबीआई की जांच की दिशा भी लगातार बदलती रही। एक दौर था, जब जोगिन्दर सिंह सीबीआई चीफ थे तो एजेंसी स्वीडन से महत्वपूर्ण दस्तावेज लाने में सफल हो गयी थी। जोगिन्दर सिंह ने तब दावा किया था कि केस सुलझा लिया गया है। बस, देरी है तो क्वात्रोक्की को प्रत्यर्पण कर भारत लाकर अदालत में पेश करने की। उनके हटने के बाद सीबीआई की चाल ही बदल गयी। इस बीच कई ऐसे दांवपेंच खेले गये कि क्वात्रोक्की को राहत मिलती गयी।
अब वर्तमान मामला है आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर खरीदी का । इस मामले में यूपीए-1 सरकार के वक्त 2010 में अगस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद की डील हुई थी। डील के तहत मिले 3 हेलिकॉप्टर आज भी दिल्ली के पालम एयरबेस पर खड़े हैं। इन्हें इस्तेमाल में नहीं लाया गया। डील 3,600 करोड़ रुपए की थी। टोटल डील का 10 फीसदी हिस्सा रिश्वत में देने की बात सामने आई थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने फरवरी 2010 में डील रद्द कर दी थी।
तब एयरफोर्स चीफ रहे एसपी त्यागी समेत 13 लोगों पर केस दर्ज किया गया था। जिस मीटिंग में हेलीकॉप्टर की कीमत तय की गई थी, उसमें यूपीए सरकार के कुछ मंत्री भी मौजूद थे। इस वजह से कांग्रेस पर भी सवाल उठे थे।
मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स ने दिए फैसले में माना है कि इस हेलिकॉप्टर डील में करप्शन हुआ है और इसमें इंडियन एयरफोर्स के पूर्व चीफ एसपी त्यागी भी शामिल थे। 90 से 225 करोड़ रुपए की रिश्वत भारतीय अफसरों को दी गई। कोर्ट ने वीवीआईपी हेलिकॉप्टर देने वाली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के चीफ जी. ओरसी को दोषी ठहराया है। उन्हें साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई गई है।
इटली की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोर्ट ने अपने जजमेंट में बताया है कि अगस्ता वेस्टलैंड ने कैसे कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी और उनके करीबी सहयोगियों जैसे पीएम मनमोहन सिंह और नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर एमके नारायणन के साथ लॉबिंग की। कोर्ट ने अपने फैसले में चार बार सोनिया गांधी और दो बार मनमोहन सिंह का नाम लिया है।
बोफोर्स के बाद सबसे बड़े कथित रक्षा घोटाले अगस्ता हेलिकॉप्टर खरीदी में करप्शन को लेकर राज्यसभा में हुई चर्चा के बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तीन महीने के अंदर जांच पूरी कर अगले सत्र में रिपोर्ट पेश किए जाने की चुनौती देकर मोदी सरकार को असमंजस में डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हाल ही में मनोनीत सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा उछाले गए भ्रष्टाचार से जुड़े इस हाईप्रोफाइल मामले में बीजेपी ने भी सदन के बाहर और अंदर आक्रामक रुख अपनाया लेकिन कोई बड़ा सबूत प्रमाणिकता के साथ सामने नहीं ला पाई जिससे कांग्रेस बैकफुट पर जाने को मजबूर हो। करीब 5 घंटे चली कार्रवाई के दौरान सदन में बचाव, सवाल-जवाब, आरोप-प्रत्यारोप का दौर ही चलता रहा ।
वस्तुतः देखा जाये तो बोफोर्स और आगस्ता दोनो मामलों में बहुत अधिक समानताएं हैं । मामलों का संबंध मुख्यरूप गांधी परिवार से जुड़ा हुआ है । दोनो मामले रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं । दोनो मामलों में भारतीय राजनेताओं तथा सैन्य अधिकारियों पर घूस लेने का आरोप है । दोनो मामले इटली से जुड़े हैं । दोनो मामलों में बिचोलियों ने मध्यस्था की भूमिका निभाई है । बोफोर्स घोटाला में राजीव गांधी का नाम आया था और इस कारण राजीव गांधी को सत्ता से बाहर हो गए थे । साथ बोफोर्स कांड राजीव को इस कदर ले डूबा कि वे इससे जीवन पर्यन्त उभर ही नही पाये । बोफोर्स मामला ने उनका राजनैतिक कैरियर ही खत्म कर दिया था । आगस्ता वेस्टलैंड में सोनिया गांधी का नाम सामने आया है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि यह मामला सोनिया गांधी के राजनैतिक जीवन को कितना प्रभावित करता है । इस मामले में घिरकर सोनिया गांधी का राजनैतिक उम्मीद से पहले ही समाप्त हो जायेगा या फिर आगे भी उनका वर्चस्व कायम रहेगा ।
सत्यम सिंह बघेल
मीडिया, सोशल मीडिया और संसद से लेकर सड़क तक देश में हर जगह बहस का विषय बना हुआ है । यह मामला भारत द्वारा आगस्ता वेस्टलैण्ड कम्पनी से खरीदे गए हेलिकॉप्टरों से सम्बन्धित है जो 2013-14 में सामने आया। इसमें कई भारतीय राजनेताओं एवं सैन्य अधिकारियों पर आगस्ता वेस्टलैण्ड से मोटी घूस लेने का आरोप है। इसी तरह का एक और मामला था बोफोर्स इसमे भी कई भारतीय राजनेताओं एवं सैन्य अधिकारियों पर घूस लेने का अरोप था । बोफोर्स कांड के मामले में सन् 1987 में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इस खुलासे ने भारतीय राजनीति में खलबली मचा दी और राजीव गांधी इसके निशाना बने। 1989 के लोकसभा चुनाव का ये मुख्य मुद्दा था जिसने राजीव गांधी को सत्ता से बाहर कर दिया और वीपी सिंह राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री बने। और साथ ही बोफोर्स कांड राजीव गांधी को इस कदर ले डूबा कि वे इससे जीवन पर्यन्त उभर ही नही पाये । बोफोर्स मामला ने उनका राजनैतिक कैरियर ही खत्म कर दिया था ।
आरोप था कि राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने इस मामले में बिचौलिये की भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डालर का था। आरोप है कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी। काफी समय तक राजीव गांधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मौत के बाद नाम फाइल से हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गयी लेकिन सरकारें बदलने पर सीबीआई की जांच की दिशा भी लगातार बदलती रही। एक दौर था, जब जोगिन्दर सिंह सीबीआई चीफ थे तो एजेंसी स्वीडन से महत्वपूर्ण दस्तावेज लाने में सफल हो गयी थी। जोगिन्दर सिंह ने तब दावा किया था कि केस सुलझा लिया गया है। बस, देरी है तो क्वात्रोक्की को प्रत्यर्पण कर भारत लाकर अदालत में पेश करने की। उनके हटने के बाद सीबीआई की चाल ही बदल गयी। इस बीच कई ऐसे दांवपेंच खेले गये कि क्वात्रोक्की को राहत मिलती गयी।
अब वर्तमान मामला है आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर खरीदी का । इस मामले में यूपीए-1 सरकार के वक्त 2010 में अगस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद की डील हुई थी। डील के तहत मिले 3 हेलिकॉप्टर आज भी दिल्ली के पालम एयरबेस पर खड़े हैं। इन्हें इस्तेमाल में नहीं लाया गया। डील 3,600 करोड़ रुपए की थी। टोटल डील का 10 फीसदी हिस्सा रिश्वत में देने की बात सामने आई थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने फरवरी 2010 में डील रद्द कर दी थी।
तब एयरफोर्स चीफ रहे एसपी त्यागी समेत 13 लोगों पर केस दर्ज किया गया था। जिस मीटिंग में हेलीकॉप्टर की कीमत तय की गई थी, उसमें यूपीए सरकार के कुछ मंत्री भी मौजूद थे। इस वजह से कांग्रेस पर भी सवाल उठे थे।
मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स ने दिए फैसले में माना है कि इस हेलिकॉप्टर डील में करप्शन हुआ है और इसमें इंडियन एयरफोर्स के पूर्व चीफ एसपी त्यागी भी शामिल थे। 90 से 225 करोड़ रुपए की रिश्वत भारतीय अफसरों को दी गई। कोर्ट ने वीवीआईपी हेलिकॉप्टर देने वाली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के चीफ जी. ओरसी को दोषी ठहराया है। उन्हें साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई गई है।
इटली की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोर्ट ने अपने जजमेंट में बताया है कि अगस्ता वेस्टलैंड ने कैसे कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी और उनके करीबी सहयोगियों जैसे पीएम मनमोहन सिंह और नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर एमके नारायणन के साथ लॉबिंग की। कोर्ट ने अपने फैसले में चार बार सोनिया गांधी और दो बार मनमोहन सिंह का नाम लिया है।
बोफोर्स के बाद सबसे बड़े कथित रक्षा घोटाले अगस्ता हेलिकॉप्टर खरीदी में करप्शन को लेकर राज्यसभा में हुई चर्चा के बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तीन महीने के अंदर जांच पूरी कर अगले सत्र में रिपोर्ट पेश किए जाने की चुनौती देकर मोदी सरकार को असमंजस में डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हाल ही में मनोनीत सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा उछाले गए भ्रष्टाचार से जुड़े इस हाईप्रोफाइल मामले में बीजेपी ने भी सदन के बाहर और अंदर आक्रामक रुख अपनाया लेकिन कोई बड़ा सबूत प्रमाणिकता के साथ सामने नहीं ला पाई जिससे कांग्रेस बैकफुट पर जाने को मजबूर हो। करीब 5 घंटे चली कार्रवाई के दौरान सदन में बचाव, सवाल-जवाब, आरोप-प्रत्यारोप का दौर ही चलता रहा ।
वस्तुतः देखा जाये तो बोफोर्स और आगस्ता दोनो मामलों में बहुत अधिक समानताएं हैं । मामलों का संबंध मुख्यरूप गांधी परिवार से जुड़ा हुआ है । दोनो मामले रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं । दोनो मामलों में भारतीय राजनेताओं तथा सैन्य अधिकारियों पर घूस लेने का आरोप है । दोनो मामले इटली से जुड़े हैं । दोनो मामलों में बिचोलियों ने मध्यस्था की भूमिका निभाई है । बोफोर्स घोटाला में राजीव गांधी का नाम आया था और इस कारण राजीव गांधी को सत्ता से बाहर हो गए थे । साथ बोफोर्स कांड राजीव को इस कदर ले डूबा कि वे इससे जीवन पर्यन्त उभर ही नही पाये । बोफोर्स मामला ने उनका राजनैतिक कैरियर ही खत्म कर दिया था । आगस्ता वेस्टलैंड में सोनिया गांधी का नाम सामने आया है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि यह मामला सोनिया गांधी के राजनैतिक जीवन को कितना प्रभावित करता है । इस मामले में घिरकर सोनिया गांधी का राजनैतिक उम्मीद से पहले ही समाप्त हो जायेगा या फिर आगे भी उनका वर्चस्व कायम रहेगा ।
सत्यम सिंह बघेल
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