बारिश कम होंने की वजह से देश के अधिकांश राज्यों में जल संकट की स्थिति गहराई हुई है । सबसे अधिक सूखे की बदतर हालात महाराष्ट्र में बनी हुई है । लगातार चौथी बार महाराष्ट्र सूखे का सामना कर रहा है। सबसे ज्यादा असर औरंगाबाद, लातूर और विदर्भ के जिलों में देखने को मिल रहा है। कई तालाबों और नदियों में पानी 4% से भी कम बचा है । वहीं मराठवाड़ा में नदी और डैम पूरी तरह से सूख चुके हैं। भयंकर सूखे के कहर की वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। यहाँ वर्ष 2016 में हर महीने करीब 90 किसानों ने आत्म हत्या की । पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा गई है । मौजूदा समय में महाराष्ट्र में करीब 15,000 गांव गंभीर जलसंकट से जूझ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश गांव लातूर, बीड और उस्मानाबाद जिले में आते हैं। इन गॉवों में करीब 2.45 करोड़ आबादी है। जिनमे पांच लाख से अधिक लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा पैदा हो गया है। जिले को पानी की सप्लाइ करने वाले मंजरा डैम और धानेगांव नदी के सूख जाने से पानी की भारी कमी हो गई है और मराठवाड़ा में केवल टैंकर के पानी के सहारे मरीजों का उपचार करने में डॉक्टरों को काफी मुश्किल हो रही है। स्थिति इतनी खराब है कि लातूर में लगभग 160 क्लिनिक्स और हॉस्पिटल्स ने पहले से तय सर्जरी में काफी कमी कर दी है और वे केवल इमरजेंसी ऑपरेशन ही कर रहे हैं। आज हालात यह बने हुए हैं कि मराठवाड़ा में लोगों को तीन-तीन दिन तक पानी नहीं मिल पा रहा है ।
पानी की किल्लत दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें ट्रेन के जरिए पानी पहुंचा रही हैं। भारतीय रेलवे की 'जल रेलगाड़ी' करीब 5,50,000 लीटर पेयजल की सौगात लेकर मंगलवार को महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त जिले लातूर पहुंची। रेल मंत्री सुरेश प्रभु को मैं धन्यवाद कहना चाहूँगा, जिन्होंने पानी भेजने की यह पहल कई दिन पहले की थी। उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के कई हिस्से विशेषकर लातूर जिले के गांव गंभीर जलसंकट से जूझ रहे हैं । प्रभु के दिशा-निर्देश के बाद पिछले दिनों 50 टैंक वैगन राजस्थान के कोटा वर्कशॉप भेजे गए थे, जहां उन्हें अच्छे से साफ किया गया और आगे की यात्रा के लिए सांगली भेज दिया गया। भारतीय रेलवे की लातूर के सूखाग्रस्त गांवों की प्यास बुझाने के लिए ऐसी और ट्रेनें भेजने की योजना है। इन्हें भेजे जाने का समय फिलहाल तय नहीं है।
वहीं सूखे से बेहाल महाराष्ट्र में आईपीएल मैच कराने को लेकर विवाद चरम पर है । बॉम्बे हाईकोर्ट में आईपीएल मैचों को दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की पिटीशन पर सुनवाई चल रही है। उसमें कहा गया है कि आईपीएल के दौरान महाराष्ट्र के तीन स्टेडियम में करीब 60 लाख लीटर पानी यूज होगा। पीआईएल लगाने वाले के वकील का कहना है कि इंटरनेशनल मेंटेनेंस फॉर पिच गाइडलाइन्स के मुताबिक, एक मैच के लिए ग्राउंड मेंटेनेंस में करीब 3 लाख लीटर पानी लगता है। आईपीएल के 20 मैच महाराष्ट्र के तीन ग्राउंड पर होने हैं, जो कुल आईपीएल मैचों का एक-तिहाई है। इनमें 8 मैच मुंबई में, 9 मैच पुणे में और 3 मैच नागपुर में होंगे। इस तरह 20 मैचों के दौरान पिच मेंटेनेंस पर करीब 60 लाख लीटर पानी यूज किया जाएगा।
लेकिन मेरा मानना है कि कुछ टैंक भेजने से या आईपीएल मैचों को शिफ्ट करने से प्रॉब्लम खत्म नहीं होगी। यह एक बेहद गंभीर मुद्दा है, इस पर संवेदनशील होकर विचारने की आवश्यकता है । इसके बारे में दूसरे तरीके से सोचने की जरूरत है। आईपीएल शिफ्ट करने से मामला सुलझ जायेगा या समस्या खत्म हो जायेगी यह सब बातें सिर्फ सुनने-कहने में अच्छी लगती हैं । जबकि वास्तविकता यह है कि समस्या से निपटने के लिए बड़े रूप से योजना बनाने की आवश्यकता है।
सोचना होगा कि जिन इलाकों में सूखा है वहां स्थाई रूप से हमेशा के लिए किस तरह पानी भेजा जाएं । क्योंकि महाराष्ट्र में सूखे की समस्या आजकल या एक-दो सप्ताह की नही है बल्कि यह लगातार चार वर्षों से बनी हुई है । इसलिए बृहद रूप से पानी उपलब्ध कराने की योजना तैयार की जानी चाहिए । अगर हमारी सरकार पूर्व में ही सूखे को लेकर संवेदनशील होकर कार्य करती तो हो सकता है, यह नौबत नही आती ।
वैसे जल संकट की स्थिति से महाराष्ट्र ही नही बल्कि मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत 10 राज्य सूखे की चपेट में हैं । इन राज्यों में भी सूखे से हालात इतने बदतर हो गए हैं कि लोग पीने के पानी तक को तरस गए हैं और अब पलायन करने को मजबूर हैं । यूपी और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बंदूकों के सहारे पानी की निगरानी की जा रही है। जिन क्षेत्रों में जल संकट गहराया हुआ है, वहां के लोगों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, जीना मुश्किल हो गया है । इसलिए केंद्र तथा सभी राज्य सरकारें राज्यों के उन क्षेत्रों को चिन्हित करें जहां जल संकट गहराया हुआ है और वहां के रहवासियों को पानी उपलब्ध कराकर हर सम्भव मदद करें । सिर्फ सरकार ही नही बल्कि प्रशासन तन्त्र, सभी राजनैतिक दल तथा सभी तरह के संगठन और समाज के हर व्यक्ति को आज इस दिशा में सहयोग करने की जरूरत है । जिस क्षेत्र में पानी की उपलब्धता है उस क्षेत्र से पानी एकत्रित कर पानी पहुंचाया जाये और इसके लिए शासन, प्रशासन, समाज तथा सामाजिक संगठन सभी मिलकर गंभीरता से संवेदनशील होकर काम करें, जल संकट से जूझ रहे लोगों की मदद करना सभी देशवासियों की जिम्मेदारी है । क्योंकि जल बिना जीवन सम्भव नही है । जल ही तो जीवन है । इंसान बिना भोजन के रह सकता है लेकिन बिना पानी के जीवित रह पाना मुश्किल है । इसलिए हर व्यक्ति, जल संकट से जूझ रहे लोगों तक पानी पहुंचाने में अपना योगदान अवश्य दें, यह सिर्फ सरकार का काम नही है, बल्कि यह हम सब का कार्य है, यह संवेदना से जुड़ा कार्य है, इंसानियत से जुड़ा कार्य है, मानवता से जुड़ा कार्य है ।
सत्यम सिंह बघेल
पानी की किल्लत दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें ट्रेन के जरिए पानी पहुंचा रही हैं। भारतीय रेलवे की 'जल रेलगाड़ी' करीब 5,50,000 लीटर पेयजल की सौगात लेकर मंगलवार को महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त जिले लातूर पहुंची। रेल मंत्री सुरेश प्रभु को मैं धन्यवाद कहना चाहूँगा, जिन्होंने पानी भेजने की यह पहल कई दिन पहले की थी। उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के कई हिस्से विशेषकर लातूर जिले के गांव गंभीर जलसंकट से जूझ रहे हैं । प्रभु के दिशा-निर्देश के बाद पिछले दिनों 50 टैंक वैगन राजस्थान के कोटा वर्कशॉप भेजे गए थे, जहां उन्हें अच्छे से साफ किया गया और आगे की यात्रा के लिए सांगली भेज दिया गया। भारतीय रेलवे की लातूर के सूखाग्रस्त गांवों की प्यास बुझाने के लिए ऐसी और ट्रेनें भेजने की योजना है। इन्हें भेजे जाने का समय फिलहाल तय नहीं है।
वहीं सूखे से बेहाल महाराष्ट्र में आईपीएल मैच कराने को लेकर विवाद चरम पर है । बॉम्बे हाईकोर्ट में आईपीएल मैचों को दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की पिटीशन पर सुनवाई चल रही है। उसमें कहा गया है कि आईपीएल के दौरान महाराष्ट्र के तीन स्टेडियम में करीब 60 लाख लीटर पानी यूज होगा। पीआईएल लगाने वाले के वकील का कहना है कि इंटरनेशनल मेंटेनेंस फॉर पिच गाइडलाइन्स के मुताबिक, एक मैच के लिए ग्राउंड मेंटेनेंस में करीब 3 लाख लीटर पानी लगता है। आईपीएल के 20 मैच महाराष्ट्र के तीन ग्राउंड पर होने हैं, जो कुल आईपीएल मैचों का एक-तिहाई है। इनमें 8 मैच मुंबई में, 9 मैच पुणे में और 3 मैच नागपुर में होंगे। इस तरह 20 मैचों के दौरान पिच मेंटेनेंस पर करीब 60 लाख लीटर पानी यूज किया जाएगा।
लेकिन मेरा मानना है कि कुछ टैंक भेजने से या आईपीएल मैचों को शिफ्ट करने से प्रॉब्लम खत्म नहीं होगी। यह एक बेहद गंभीर मुद्दा है, इस पर संवेदनशील होकर विचारने की आवश्यकता है । इसके बारे में दूसरे तरीके से सोचने की जरूरत है। आईपीएल शिफ्ट करने से मामला सुलझ जायेगा या समस्या खत्म हो जायेगी यह सब बातें सिर्फ सुनने-कहने में अच्छी लगती हैं । जबकि वास्तविकता यह है कि समस्या से निपटने के लिए बड़े रूप से योजना बनाने की आवश्यकता है।
सोचना होगा कि जिन इलाकों में सूखा है वहां स्थाई रूप से हमेशा के लिए किस तरह पानी भेजा जाएं । क्योंकि महाराष्ट्र में सूखे की समस्या आजकल या एक-दो सप्ताह की नही है बल्कि यह लगातार चार वर्षों से बनी हुई है । इसलिए बृहद रूप से पानी उपलब्ध कराने की योजना तैयार की जानी चाहिए । अगर हमारी सरकार पूर्व में ही सूखे को लेकर संवेदनशील होकर कार्य करती तो हो सकता है, यह नौबत नही आती ।
वैसे जल संकट की स्थिति से महाराष्ट्र ही नही बल्कि मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत 10 राज्य सूखे की चपेट में हैं । इन राज्यों में भी सूखे से हालात इतने बदतर हो गए हैं कि लोग पीने के पानी तक को तरस गए हैं और अब पलायन करने को मजबूर हैं । यूपी और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बंदूकों के सहारे पानी की निगरानी की जा रही है। जिन क्षेत्रों में जल संकट गहराया हुआ है, वहां के लोगों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, जीना मुश्किल हो गया है । इसलिए केंद्र तथा सभी राज्य सरकारें राज्यों के उन क्षेत्रों को चिन्हित करें जहां जल संकट गहराया हुआ है और वहां के रहवासियों को पानी उपलब्ध कराकर हर सम्भव मदद करें । सिर्फ सरकार ही नही बल्कि प्रशासन तन्त्र, सभी राजनैतिक दल तथा सभी तरह के संगठन और समाज के हर व्यक्ति को आज इस दिशा में सहयोग करने की जरूरत है । जिस क्षेत्र में पानी की उपलब्धता है उस क्षेत्र से पानी एकत्रित कर पानी पहुंचाया जाये और इसके लिए शासन, प्रशासन, समाज तथा सामाजिक संगठन सभी मिलकर गंभीरता से संवेदनशील होकर काम करें, जल संकट से जूझ रहे लोगों की मदद करना सभी देशवासियों की जिम्मेदारी है । क्योंकि जल बिना जीवन सम्भव नही है । जल ही तो जीवन है । इंसान बिना भोजन के रह सकता है लेकिन बिना पानी के जीवित रह पाना मुश्किल है । इसलिए हर व्यक्ति, जल संकट से जूझ रहे लोगों तक पानी पहुंचाने में अपना योगदान अवश्य दें, यह सिर्फ सरकार का काम नही है, बल्कि यह हम सब का कार्य है, यह संवेदना से जुड़ा कार्य है, इंसानियत से जुड़ा कार्य है, मानवता से जुड़ा कार्य है ।
सत्यम सिंह बघेल
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