आजकल एक शब्द कानों में खूब गूँज रहा है GST बिल | GST अथार्त् गुड्स एन्ड सर्विसेस टैक्स जिसे हम वस्तु एवं सेवा कर बिल भी कह सकते हैं | यह बिल स्टेंडिंग कमेटी से पास हो गया और लोकसभा से भी पास हो गया परंतु राज्यसभा में हंगामें के कारण अटका पड़ा है | वैसे यह बिल कांग्रेस के शासन काल में ही लागू होना था | 2006-07 के आम बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि सरकार 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करेगी लेकिन अभी तक लागू नहीं हो पाया है, अभी भी रुका हुआ है | जो कांग्रेस सत्ता पक्ष में रहते हुये जीएसटी बिल लागू करना चाह रही थी और भाजपा उसका विरोध कर रही थी अब वही कांग्रेस विपक्ष में आने के बाद बिल का विरोध कर रही है और अब भाजपा बिल लाना चाहती है | यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे राजनेता भूल जाते हैं कि संसद काम करने के लिए है और वे जनता की समस्याओं के निवारण करने के लिए हैं, लेकिन हमारे देश के जन सेवक कुर्सी पर बैठकर सिर्फ अपनी निजी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगे रहते हैं | बहुत दुःख होता राजनेताओं की इस तरह की अनैतिक कार्यशीलता देखकर |
मानसून सत्र के दौरान सदन में वित्त मंत्री ने जैसे ही बिल पेश किया पेश किया तृणमूल, वाम मोर्चा, और एनसीपी ने वाकआउट कर दिया वहीं अन्नाद्रमुक ने अपना विरोध जताया और यही नजारा पिछले मानसून सत्र में देखने को मिला | इस तरह हंगामें के चलते मोदी सरकार ने बिल को लोकसभा से तो पारित करा लिया लेकिन राज्यसभा में अटक गया | सरकार इस बिल को अब तक का सबसे बड़ा टेक्स रिफार्मर बता रही है | भारत में सरकार के संघीय ढांचे होने के कारण जीएसटी बिल का स्वरूप दोहरा होगा, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य के जीएसटी शामिल होंगे। यह बिल देश भर में अलग-अलग टेक्स प्रणाली को ख़त्म कर एक ही टेक्स प्रणाली लागू करने के लिए है |
सरकार ने इस टैक्स पर अप्रैल 2016 से अमल करने का लक्ष्य रखा है । कई अर्थशास्त्रियों ने इसके लागू होने के बाद GDP ग्रोथ एक साल में 2-3 प्रतिशत बढ़ने की पूरी-पूरी उम्मीद जताई है | यह बिल देश की अर्थव्यवस्था की दिशा में क्रान्तिकारी कदम साबित हो सकता है | अगर वस्तु एवं सेवा कर लागू हो गया तो, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज़, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, चुंगी, वैट जैसे सभी कर समाप्त हो जाएंगे । इससे पूरे देश में एक उत्पाद लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा |अभी तक कोई भी सामान खरीदने पर 30-35 टैक्स के रूप में दिया जाता है । जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स घटकर 20% तक आ जायेंगे। कुछ विरोध करने वाले राज्यों का कहना है कि हमें 27% से अधिक जीएसटी दिया जाये | लेकिन केंद्र का कहना है कि 20% से अधिक दर तय की गई तो उत्पाद और सेवायें महंगी हो जाएंगी । लेकिन अब केंद्र के मनाने पर 20% तक के लिए सभी राज्य राजी हो गए हैं । जैसे यदि जीएसटी 20% तय होता है तो केंद्र और राज्य को Tax Revanue(टेक्स रेवेन्यु) का 10-10% हिस्सा मिलेगा और बाकी के टैक्स से जनता को छूट मिलेगी |
कुछ राज्य पैट्रो उत्पाद को जीएसटी के अंतर्गत नहीं रखना चाहते, इसलिए वे बिल का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनको एक-तिहाई टैक्स प्राप्ति केवल पेट्रोल-डीजल से होती है | परंतु मोदी सरकार ने GST के अंतर्गत टैक्स प्राप्ति में हानि होने वाले राज्यों को केंद्र की ओर से पाँच वर्ष तक, पहले वर्ष में 100%, दूसरे वर्ष में 75% और तीसरे से पांचवें वर्ष तक 50% की क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया है । इसके बाद अब तमिलनाडु और एक दो राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों से सहमति भी हो गई है |
अलग-अलग प्रणाली को बंद कर देश भर में एक ही टेक्स प्रणाली लागू करने के लिए ही जीएसटी बिल का प्रारूप तैयार किया गया है | अभी तक सभी राज्यों में अलग-अलग स्थानीय टैक्स लगाया जाता है, जिससे विभिन्न राज्य में एक ही वस्तु का अलग-अलग मूल्य होता है, जैसे मोटर वाहन और डीजल का मूल्य हर राज्य में अलग-अलग होता है । कई सामानों की कीमत सभी राज्यों में अलग अलग होती है । परंतु जीएसटी लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा । प्रत्येक उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में केंद्र और राज्यों को बराबर भाग मिलेगा । इससे पूरे देश में एक प्रोडक्ट लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा और पहले से कम कीमत पर मिलेगा | इस तरह जीएसटी बिल के पास हो जाने से आमजनता का भला होगा और देश की आर्थिक दिशा में क्रांतिकारी कदम होंगे, परन्तु यह बिल निजी सिआसी जंग की भेंट चढ़ा है |
लेकिन अब सरकार द्वारा जीएसटी बिल को प्रमुखता से लागू करना चाहिये और सभी राजनैतिक दलों को भी अपनी निजी राजनैतिक सिआसत छोड़कर देश के लिए और आमजन की भलाई के लिए बिल का समर्थन करना चाहिए | जिससे जानता की भलाई हो सके, देश की आर्थिक गति तेजी से बड़े, अर्थव्यवस्था मजबूत हो, जनता की जेब में पैसा बचे, अधिक आय हो सके और जो राज्य वस्तु एवं सेवा में अधिक कर वसूलते हैं उन पर भी अंकुश लग सके | इसलिए मैं देश के सभी दलों और जनसेवकों से निवेदन करता हूँ कि वे अपनी सिआसी रोटियां सेकना छोड़े और देश के प्रति ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें |
सत्यम सिंह बघेल
केवलारी, सिवनी
मध्य प्रदेश
मानसून सत्र के दौरान सदन में वित्त मंत्री ने जैसे ही बिल पेश किया पेश किया तृणमूल, वाम मोर्चा, और एनसीपी ने वाकआउट कर दिया वहीं अन्नाद्रमुक ने अपना विरोध जताया और यही नजारा पिछले मानसून सत्र में देखने को मिला | इस तरह हंगामें के चलते मोदी सरकार ने बिल को लोकसभा से तो पारित करा लिया लेकिन राज्यसभा में अटक गया | सरकार इस बिल को अब तक का सबसे बड़ा टेक्स रिफार्मर बता रही है | भारत में सरकार के संघीय ढांचे होने के कारण जीएसटी बिल का स्वरूप दोहरा होगा, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य के जीएसटी शामिल होंगे। यह बिल देश भर में अलग-अलग टेक्स प्रणाली को ख़त्म कर एक ही टेक्स प्रणाली लागू करने के लिए है |
सरकार ने इस टैक्स पर अप्रैल 2016 से अमल करने का लक्ष्य रखा है । कई अर्थशास्त्रियों ने इसके लागू होने के बाद GDP ग्रोथ एक साल में 2-3 प्रतिशत बढ़ने की पूरी-पूरी उम्मीद जताई है | यह बिल देश की अर्थव्यवस्था की दिशा में क्रान्तिकारी कदम साबित हो सकता है | अगर वस्तु एवं सेवा कर लागू हो गया तो, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज़, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, चुंगी, वैट जैसे सभी कर समाप्त हो जाएंगे । इससे पूरे देश में एक उत्पाद लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा |अभी तक कोई भी सामान खरीदने पर 30-35 टैक्स के रूप में दिया जाता है । जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स घटकर 20% तक आ जायेंगे। कुछ विरोध करने वाले राज्यों का कहना है कि हमें 27% से अधिक जीएसटी दिया जाये | लेकिन केंद्र का कहना है कि 20% से अधिक दर तय की गई तो उत्पाद और सेवायें महंगी हो जाएंगी । लेकिन अब केंद्र के मनाने पर 20% तक के लिए सभी राज्य राजी हो गए हैं । जैसे यदि जीएसटी 20% तय होता है तो केंद्र और राज्य को Tax Revanue(टेक्स रेवेन्यु) का 10-10% हिस्सा मिलेगा और बाकी के टैक्स से जनता को छूट मिलेगी |
कुछ राज्य पैट्रो उत्पाद को जीएसटी के अंतर्गत नहीं रखना चाहते, इसलिए वे बिल का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनको एक-तिहाई टैक्स प्राप्ति केवल पेट्रोल-डीजल से होती है | परंतु मोदी सरकार ने GST के अंतर्गत टैक्स प्राप्ति में हानि होने वाले राज्यों को केंद्र की ओर से पाँच वर्ष तक, पहले वर्ष में 100%, दूसरे वर्ष में 75% और तीसरे से पांचवें वर्ष तक 50% की क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया है । इसके बाद अब तमिलनाडु और एक दो राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों से सहमति भी हो गई है |
अलग-अलग प्रणाली को बंद कर देश भर में एक ही टेक्स प्रणाली लागू करने के लिए ही जीएसटी बिल का प्रारूप तैयार किया गया है | अभी तक सभी राज्यों में अलग-अलग स्थानीय टैक्स लगाया जाता है, जिससे विभिन्न राज्य में एक ही वस्तु का अलग-अलग मूल्य होता है, जैसे मोटर वाहन और डीजल का मूल्य हर राज्य में अलग-अलग होता है । कई सामानों की कीमत सभी राज्यों में अलग अलग होती है । परंतु जीएसटी लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा । प्रत्येक उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में केंद्र और राज्यों को बराबर भाग मिलेगा । इससे पूरे देश में एक प्रोडक्ट लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा और पहले से कम कीमत पर मिलेगा | इस तरह जीएसटी बिल के पास हो जाने से आमजनता का भला होगा और देश की आर्थिक दिशा में क्रांतिकारी कदम होंगे, परन्तु यह बिल निजी सिआसी जंग की भेंट चढ़ा है |
लेकिन अब सरकार द्वारा जीएसटी बिल को प्रमुखता से लागू करना चाहिये और सभी राजनैतिक दलों को भी अपनी निजी राजनैतिक सिआसत छोड़कर देश के लिए और आमजन की भलाई के लिए बिल का समर्थन करना चाहिए | जिससे जानता की भलाई हो सके, देश की आर्थिक गति तेजी से बड़े, अर्थव्यवस्था मजबूत हो, जनता की जेब में पैसा बचे, अधिक आय हो सके और जो राज्य वस्तु एवं सेवा में अधिक कर वसूलते हैं उन पर भी अंकुश लग सके | इसलिए मैं देश के सभी दलों और जनसेवकों से निवेदन करता हूँ कि वे अपनी सिआसी रोटियां सेकना छोड़े और देश के प्रति ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें |
सत्यम सिंह बघेल
केवलारी, सिवनी
मध्य प्रदेश
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