Sunday, February 21, 2016

जीएसटी चढ़ा राजनैतिक सिआसत की भेंट

जीएसटी अर्थात गुड्स एन्ड सर्विसेस टैक्स जिसे हम वस्तु एवं सेवा कर बिल भी कह सकते हैं | यह बिल पिछले वर्ष मानसून सत्र में स्टेंडिंग कमेटी और लोकसभा से भी पास हो गया है परंतु राज्यसभा में हंगामें के कारण अटका पड़ा है | देश आजाद होने के बाद के सबसे बड़े कर सुधार करार दिए जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बिल के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल घिर गए हैं। अब यह स्पष्ट नहीं है कि जीएसटी कब से लागू होगा, हालांकि सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी विधेयक बजट सत्र में पारित हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है लेकिन जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा में लंबित होने के चलते इसका भविष्य अनिश्चित हो गया है। सरकार को उम्मीद थी कि वह विपक्ष की सहमति से शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पारित करा लेगी, लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते इस पर विचार नहीं किया जा सका। जीएसटी के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है इसलिए इस संशोधन को कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानमंडलों से मंजूरी दिलाना जरूरी होगा। अगर बजट सत्र में संविधान संशोधन विधेयक पारित हो जाता है तब यह देखना होगा कि राज्यों के विधानमंडलों से यह कब तक पारित होता है। जीएसटी के लागू होने पर उत्पाद शुल्क और सेवा कर सहित केंद्र और राज्यों के परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।
वैसे यह बिल कांग्रेस के शासन काल में ही लागू होना था, 2006-07 के आम बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि सरकार 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करेगी लेकिन अभी तक लागू नहीं हो पाया है, अभी भी रुका हुआ है | जो कांग्रेस सत्ता पक्ष में रहते हुये जीएसटी बिल लागू करना चाह रही थी और भाजपा उसका विरोध कर रही थी अब वही कांग्रेस विपक्ष में आने के बाद बिल का विरोध कर रही है और अब भाजपा बिल लाना चाहती है | यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे राजनेता भूल जाते हैं कि संसद काम करने के लिए है और वे जनता की समस्याओं के निवारण करने के लिए हैं, लेकिन हमारे देश के जन सेवक कुर्सी पर बैठकर सिर्फ अपनी निजी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगे रहते हैं | बहुत दुःख होता राजनेताओं की इस तरह की अनैतिक कार्यशीलता देखकर | कांग्रेस की मांग है कि जीएसटी दर पर सीमा लगे और इसे संविधान संशोधन विधेयक में शामिल किया जाए। वित्त मंत्री जेटली का कहना है कि कर की दर को संविधान का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता क्योंकि कर की दर को संविधान के दायरे में लाने का मतलब भावी पीढ़ी पर बोझ देना और इस उद्देश्य से देखा जाए तो सरकार का मत उचित दिखाई पड़ता है |
सरकार इस बिल को अब तक का सबसे बड़ा टेक्स रिफार्मर बता रही है | भारत में सरकार के संघीय ढांचे होने के कारण जीएसटी बिल का स्वरूप दोहरा होगा, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य के जीएसटी शामिल होंगे। यह बिल देशभर में अलग-अलग टेक्स प्रणाली को ख़त्म कर एक ही टेक्स प्रणाली लागू करने के लिए है | सरकार ने इस टैक्स पर अप्रैल 2016 से अमल करने का लक्ष्य रखा है । कई अर्थशास्त्रियों ने इसके लागू होने के बाद GDP ग्रोथ एक साल में 2-3 प्रतिशत बढ़ने की पूरी-पूरी उम्मीद जताई है | यह बिल देश की अर्थव्यवस्था की दिशा में क्रान्तिकारी कदम साबित हो सकता है | अगर वस्तु एवं सेवा कर लागू हो गया तो, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज़, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, चुंगी, वैट जैसे सभी कर समाप्त  हो जाएंगे । इससे पूरे देश में एक उत्पाद लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा | अभी तक कोई भी सामान खरीदने पर 30-35 टैक्स के रूप में दिया जाता है । जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स घटकर 20 प्रतिशत तक आ जायेंगे। कुछ विरोध करने वाले राज्यों का कहना है कि हमें 27 प्रतिशत से अधिक जीएसटी दिया जाये | लेकिन केंद्र का कहना है कि 20 प्रतिशत से अधिक दर तय की गई तो उत्पाद और सेवायें महंगी हो जाएंगी । लेकिन अब केंद्र के मनाने पर 20 प्रतिशत तक के लिए सभी राज्य राजी हो गए हैं । जैसे यदि जीएसटी 20 प्रतिशत तय होता है तो केंद्र और राज्य को Tax Revanue(टेक्स रेवेन्यु) का 10-10 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा और बाकी के टैक्स से जनता को छूट मिलेगी |
कुछ राज्य पैट्रो उत्पाद को जीएसटी के अंतर्गत नहीं रखना चाहते, इसलिए वे बिल का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनको एक-तिहाई टैक्स प्राप्ति केवल पेट्रोल-डीजल से होती है | परंतु मोदी सरकार ने GST के अंतर्गत टैक्स प्राप्ति में हानि होने वाले राज्यों को केंद्र की ओर से पाँच वर्ष तक, पहले वर्ष में 100 प्रतिशत, दूसरे वर्ष में 75 प्रतिशत और तीसरे से पांचवें वर्ष तक 50 प्रतिशत की क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया है । अलग-अलग प्रणाली को बंद कर देशभर में एक ही टेक्स प्रणाली लागू करने के लिए ही जीएसटी बिल का प्रारूप तैयार किया गया है | अभी तक सभी राज्यों में अलग-अलग स्थानीय  टैक्स लगाया जाता है, जिससे विभिन्न राज्य में एक ही वस्तु का अलग-अलग मूल्य होता है,  जैसे मोटर वाहन और डीजल  का मूल्य हर राज्य में अलग-अलग होता है । कई सामानों की कीमत सभी राज्यों में अलग अलग होती है । परंतु जीएसटी लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा,  प्रत्येक उत्पाद पर लगने वाले टैक्स में केंद्र और राज्यों को बराबर भाग मिलेगा । इससे पूरे देश में एक प्रोडक्ट लगभग एक जैसी ही कीमत पर मिलेगा और पहले से कम कीमत पर मिलेगा | इस तरह जीएसटी बिल के पास हो जाने से आमजनता का भला होगा और देश की आर्थिक दिशा में क्रांतिकारी कदम होंगे, इसलिए मैं सभी राजनैतिक दलों से निवेदन करता हूँ कि आने वाले बजट सत्र में जीएसटी बिल पारित करवाने में सरकार का सहयोग करें | जिससे जानता की भलाई हो सके, देश की आर्थिक गति तेजी से बड़े और जो राज्य वस्तु एवं सेवा में अधिक कर वसूलते हैं उन पर भी अंकुश लग सके | इसलिए मैं देश के सभी दलों और जनसेवकों से निवेदन करता हूँ कि वे अपनी सिआसी रोटियां सेकना छोड़े और देश के प्रति ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें |
स्वलिखित (कॉपी राइट)
सत्यम सिंह बघेल
केवलारी, सिवनी
मध्यप्रदेश

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