उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सरस्वती डेंटल कॉलेज से बीडीएस कर रही सेकेंड इयर की होनहार छात्रा ने अभी हाल ही में आत्महत्या कर ली | ख़बरों के अनुसार मेडिकल की होनहार छात्रा कई दिनों से एक मनचले की हरकतों से परेशान हो गई थी | उस मनचले ने छात्रा का जीना दूभर कर रखा था, आते जाते छात्रा को परेशान करना, उसकी कॉलेज वैन में धक्के मारना और लगातार धमकियों से परेशान करना सिरफिरे की दिनचर्या में शुमार हो चुका था, लेकिन हद तो तब हो गई जब छात्रा को तेजाब फेंककर जला देने की धमकी मिली। छात्रा इस धमकी से इतनी परेशान हो चुकी थी कि उसने खुदकुशी कर ली। लेकिन सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह यह कि छात्रा ने पुलिस और वूमेन पावर लाइन में अपनी शिकायत दर्ज की कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर उसकी इस शिकायत पर जरा भी सुनवाई हुई होती तो आज एक होनहार छात्रा ने सुसाइड ना किया होता। छात्रा ने लिखित शिकायत विकासनगर थाने में की थी, लेकिन एसओ विकासनगर ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद करोड़ों रूपया खर्च कर बनी 1090 पर भी काल किया, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। लखनऊ में डॉक्टर बेटी की आत्महत्या ने इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। अपने दो साल के प्रयोग के बाद 1090 का प्रयोग पूरी तरह असफल हो गया, ऐसा लगता है, मानो यह वूमेन पवार लाइन महिलाओं में विश्वास जगाने के बजाय अब किशोरियां-महिलाओं के सपनों में 1090 के दारुण-डरावने सपने दिखने लगे हैं। राज्य में अधिकतर बढ़ रहीं एसी घटनायें उत्तर प्रदेश में महिला तथा छात्राओं को सुरक्षा देने का उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार के दावे को तार-तार कर रहीं हैं । लखनऊ में वूमेन पावरलाइन की कार्यप्रणाली को देखने के लिए भले ही देश के शीर्ष अभिनेता व अभिनेत्री आते हों और महिला सशक्तिकरण का सरकार लाख दावा करे, लेकिन यूपी में महिलाओं से रेप और छेड़छाड़ के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। कुछ दिन पहले तीन लड़कियों का अपहरण कर फिरोती मांगना और अब ये मामला कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में महिलाएं पूर्ण रूप से सुरक्षित नही हैं ।
उत्तर प्रदेश में मायावती की बीएसपी के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाली एक युवा नेता, यानी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार आई, तो लोगों को उनसे खासी उम्मीदें थी कि अब उत्तर प्रदेश की दिशा-दशा बदलेगी और प्रदेश शांति के रास्ते आगे बढ़ते हुए उन्नति के शिखर तक पहुंचेगा, लग रहा था कि अब उत्तर प्रदेश का माहौल बदलेगा, अब प्रदेश में शांति का वातारण बनेगा महिलाएं-छात्राएं सुरक्षित होंगी | लेकिन 'युवा' सीएम आम जन की उम्मीदों पर कितने खरे उतरे हैं, ये तो आम नागरिकों और महिलाओं के प्रति बढ़ते आकड़े अच्छी तरह बताते हैं। प्रदेश की दिशा-दशा सुधरने की बजाये और अधिक बद से बदतर होती जा रही है | देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इन दिनों अपराध का अड्डा बन गया है। एक नहीं सात प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश में परिस्थितियां बेहद बदल गई हैं एवं बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है। यहां अपराध बेखौफ फल-फूल रहा है। बलात्कार, हत्या, लूट, सांप्रदायिक दंगे और महिलाओं के साथ होती अपराधिक वारदातें, उत्तर प्रदेश का एक दहशत से भर देने वाला चेहरा है। खास बात यह है कि नागरिकों के खिलाफ हो रहे अपराधों में न ही पुलिस का ध्यान जा रहा है न ही सरकार ध्यान दे रही है। प्रदेश में अखिलेश सरकार को तकरीबन चार साल होने जा रहे हैं, लेकिन लॉ एंड ऑर्डर की स्थित वही ढाक के तीन पात ही बनी हुई है। कमाल की बात यह है कि दिन व दिन बढ़ते अपराध पर भी, अपराध और भयमुक्त प्रदेश का दावा करने वाले प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव बड़ी शान से कहते हैं कि समाजवादी किसी के भी साथ अत्याचार होते हुए नहीं देख सकते हैं। अखिलेश के इस रुख से ऐसा लगता है कि मानों उन्होंने जमीन पर देखना ही छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश में नित्यप्रति बढ़ रहे आपराधिक मामलों में हत्या, बलात्कार, किडनैप जैसे संगीन अपराध शामिल हैं। यदि प्रदेश में अपराध की स्थिति पर एक नजर डालें तो, प्रदेश में सबसे ज्यादा महिलाएं सुरक्षित नहीं है।
आकड़ों पर नजर डालें तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश की सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश महिलाओं के प्रति अपराध में अव्वल है। ब्यूरो के अनुसार साल 2014 में यूपी में महिलाओं पर अपराध में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है, महिलाओं के प्रति अपराध के 38 हजार 467 मामले दर्ज किये गये जो 2013 के मुकाबले 18 प्रतिशत ज्यादा थे। अपराध का यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की दयनीय हालात को भी दिखाता है। साल 2013 में महिलाओं के प्रति 32 हजार 546 मामले दर्ज किये गये थे जिसकी संख्या 2014 में 5921 ज्यादा थी। साथ ही सामूहिक दुष्कर्म मामले में भी उत्तर प्रदेश आगे है, साल 2014 में देशभर में 2300 गैंग रेप के मामले सामने आए, जिनमें से अकेले 570 मामले उत्तर प्रदेश के हैं तथा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स बोर्ड (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2014 में 3,467 दुष्कर्म की घटनायें हुई | वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स बोर्ड (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक अपहरण जैसे अपराध में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, देश में होने वाले अपहरण की 60 प्रतिशत वारदात सिर्फ उत्तर प्रदेश में हुई |
हालांकि विडंबना यह है कि यूपी की जनता के पास सपा का विकल्प बसपा के रूप में और बसपा का विकल्प सपा के रूप में ही रहा है, लेकिन व्यवस्था परिवर्तन का विकल्प उसके पास कभी नहीं रहा क्योंकि दोनों ही दलों ने कभी विकास-उन्नति पर ध्यान ही नही दिया सिर्फ जातिवाद-धर्मवाद के नाम पर ही राजनीति करते रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि सपा की तुलना में बीएसपी सरकार में लॉ एंड ऑर्डर बेहतर था, लेकिन मायावती सरकार भी पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी, इसलिए जनता ने उसे दोबारा मौका ही नहीं दिया। वहीं पिछले वर्ष पत्रकार की हत्या, एक महिला को जलाकर मार देने की घटना और सपा प्रमुख मुलायम सिंह जैसे वरिष्ठ नेता पर आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के धमकी के आरोप और उसका ऑडियो क्लिप सामने आने की घटना तथा अपराध में खुद किसी प्रदेश की सरकार का शामिल हो जाने की खबरें सामने आना किसी भी राज्य के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात है।
वहीं राज्य में तीन लड़कियों का अपहरण और अब ये आत्महत्या की घटना प्रदेश की सपा सरकार पर कई सारे सवाल खड़े करती है ।
स्वलिखित (कॉपी राइट)
लेखक- सत्यम सिंह बघेल
उत्तर प्रदेश में मायावती की बीएसपी के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाली एक युवा नेता, यानी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार आई, तो लोगों को उनसे खासी उम्मीदें थी कि अब उत्तर प्रदेश की दिशा-दशा बदलेगी और प्रदेश शांति के रास्ते आगे बढ़ते हुए उन्नति के शिखर तक पहुंचेगा, लग रहा था कि अब उत्तर प्रदेश का माहौल बदलेगा, अब प्रदेश में शांति का वातारण बनेगा महिलाएं-छात्राएं सुरक्षित होंगी | लेकिन 'युवा' सीएम आम जन की उम्मीदों पर कितने खरे उतरे हैं, ये तो आम नागरिकों और महिलाओं के प्रति बढ़ते आकड़े अच्छी तरह बताते हैं। प्रदेश की दिशा-दशा सुधरने की बजाये और अधिक बद से बदतर होती जा रही है | देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इन दिनों अपराध का अड्डा बन गया है। एक नहीं सात प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश में परिस्थितियां बेहद बदल गई हैं एवं बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है। यहां अपराध बेखौफ फल-फूल रहा है। बलात्कार, हत्या, लूट, सांप्रदायिक दंगे और महिलाओं के साथ होती अपराधिक वारदातें, उत्तर प्रदेश का एक दहशत से भर देने वाला चेहरा है। खास बात यह है कि नागरिकों के खिलाफ हो रहे अपराधों में न ही पुलिस का ध्यान जा रहा है न ही सरकार ध्यान दे रही है। प्रदेश में अखिलेश सरकार को तकरीबन चार साल होने जा रहे हैं, लेकिन लॉ एंड ऑर्डर की स्थित वही ढाक के तीन पात ही बनी हुई है। कमाल की बात यह है कि दिन व दिन बढ़ते अपराध पर भी, अपराध और भयमुक्त प्रदेश का दावा करने वाले प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव बड़ी शान से कहते हैं कि समाजवादी किसी के भी साथ अत्याचार होते हुए नहीं देख सकते हैं। अखिलेश के इस रुख से ऐसा लगता है कि मानों उन्होंने जमीन पर देखना ही छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश में नित्यप्रति बढ़ रहे आपराधिक मामलों में हत्या, बलात्कार, किडनैप जैसे संगीन अपराध शामिल हैं। यदि प्रदेश में अपराध की स्थिति पर एक नजर डालें तो, प्रदेश में सबसे ज्यादा महिलाएं सुरक्षित नहीं है।
आकड़ों पर नजर डालें तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश की सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश महिलाओं के प्रति अपराध में अव्वल है। ब्यूरो के अनुसार साल 2014 में यूपी में महिलाओं पर अपराध में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है, महिलाओं के प्रति अपराध के 38 हजार 467 मामले दर्ज किये गये जो 2013 के मुकाबले 18 प्रतिशत ज्यादा थे। अपराध का यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की दयनीय हालात को भी दिखाता है। साल 2013 में महिलाओं के प्रति 32 हजार 546 मामले दर्ज किये गये थे जिसकी संख्या 2014 में 5921 ज्यादा थी। साथ ही सामूहिक दुष्कर्म मामले में भी उत्तर प्रदेश आगे है, साल 2014 में देशभर में 2300 गैंग रेप के मामले सामने आए, जिनमें से अकेले 570 मामले उत्तर प्रदेश के हैं तथा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स बोर्ड (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2014 में 3,467 दुष्कर्म की घटनायें हुई | वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स बोर्ड (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक अपहरण जैसे अपराध में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, देश में होने वाले अपहरण की 60 प्रतिशत वारदात सिर्फ उत्तर प्रदेश में हुई |
हालांकि विडंबना यह है कि यूपी की जनता के पास सपा का विकल्प बसपा के रूप में और बसपा का विकल्प सपा के रूप में ही रहा है, लेकिन व्यवस्था परिवर्तन का विकल्प उसके पास कभी नहीं रहा क्योंकि दोनों ही दलों ने कभी विकास-उन्नति पर ध्यान ही नही दिया सिर्फ जातिवाद-धर्मवाद के नाम पर ही राजनीति करते रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि सपा की तुलना में बीएसपी सरकार में लॉ एंड ऑर्डर बेहतर था, लेकिन मायावती सरकार भी पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी, इसलिए जनता ने उसे दोबारा मौका ही नहीं दिया। वहीं पिछले वर्ष पत्रकार की हत्या, एक महिला को जलाकर मार देने की घटना और सपा प्रमुख मुलायम सिंह जैसे वरिष्ठ नेता पर आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के धमकी के आरोप और उसका ऑडियो क्लिप सामने आने की घटना तथा अपराध में खुद किसी प्रदेश की सरकार का शामिल हो जाने की खबरें सामने आना किसी भी राज्य के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात है।
वहीं राज्य में तीन लड़कियों का अपहरण और अब ये आत्महत्या की घटना प्रदेश की सपा सरकार पर कई सारे सवाल खड़े करती है ।
स्वलिखित (कॉपी राइट)
लेखक- सत्यम सिंह बघेल
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.